तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है -1

मेरे द्वारा लिखी गयी एक बहुत ही लंबी कविता है जिसके कई भाग हैं एक एक कर प्रकाशित करूँगा उम्मीद है आप तक पहुंचेगी।।।।

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गर तुम्हें लगता है कि इश्क़ ही तेरी पहचान है
तो यकीनन तुम्हरी मोहब्बत अज़ान है
वो नाम सुनके तुम्हारा भले घबरा जाते हैं
पर तुम उनके नाम पे शर्मा जाते हो
वो तुम्हारे बारे में कुछ कह नही पाते
और तुम सड़को पे भी चिल्ला के आते हो
अगर बिना बात किये नही गुजरती कोई शाम है
तो यकीनन तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है

तुम्हें उनसे मिलने की ख्वाईश हो और
अगर उनकी ओर से इश्क़ आज़माइश हो
वो तुम्हारे सामने भले खुद को छिपाये
पर तुम डरते डरते सब कह जाते हो
वो तुमसे गुस्साये प्यार से चिढ़ जाएं
तुम गलतियाँ फिरसे उसे मनाने को दोहराते हो
और उसकी हंसी तुम्हारी सारी समस्या का समाधान है
तो यकीनन तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है

उसे बेशक सुकून दिल्लगी-आम में आये
तुम्हारे लिए उसकी लगी ही दिल्लगी बन जाए
वो दोस्तों के बीच तुम्हे बेशक याद न करे
पर तुम्हे भीड़ में सबसे ज्यादा उसकी याद आए
महफिलें उसके आने से तुम्हे खूबसूरत लगे
वो जले या नही पर तुम उनके प्यार में पल पल जले
और इस जलने और बुझे से रहने में तुम्हारा वर्तमान है
तो यकीनन तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है

तुम उसके सफर का बस एक किस्सा हो
औऱ तुम्हारा सफर ही उसके लिए वो एक हिस्सा हो
अगर वो बेगैरियत किसी में भी चूर हो रहे हैं
तो भी तुम उनके इश्क़ में ऐसे मशहूर हो रहे हो
रात वो भी बीती है उनकी की बेजार हैं वो तुमसे
यहाँ तुम नींदों में भी उनके खातिर मजबूर हो रहे हो
और तुम्हारा रातों को नींदों से जागना उनका एहसान है
तो यकीनन तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है

तुम बेकरार रहते हो कि वो धड़कन ओ जान है
पर उसे तेरे होने पर अपने खुद के होने का भी गुमान है
तुम हवाओं से बैर ले लेते हो उसकी जुल्फें खातिर
तो वो उफ्फ भी न कहे ऐसा कोई बदगुमां है
तुम अक्सर दिल्लगी में हद पार कर भी दो तो
वो तुमसे पूछे तेरी मोहब्बत का कोई निशां है
इस सुबूत की आवाजाही में मुस्कुराहट पे दिल परेशान है
तो यकीनन तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है

तुम बातों में उसके उससे खो से जाते हो
जब वो पूछे क्या समझे तो कुछ और सुनाते हो
वो समझ नही पाते कि माजरा क्या है है इश्क़ क्या
या फिर तुम उन्हें अपना इश्क़ महसूस नही करा पाते हो
तुम जल जाते हो उनकी नादानियों से दूर होने पर
फिर खुश भी होते हो उसकी मुस्कान मशहूर होने पर
इस उधेड़बुन में तुम्हारी दिल की चाहत बस उनका नाम है
तो यकीनन तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है

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काफी समय दुर रहने के बाद कुछ यूं लगा जैसे अपने किसी परिवार से दूर हूँ। खुदसे दूर हूँ।

पर अब वापसी होगी ।।।

#120

तेरी तस्वीर जो दिल से लगी थी

उसको सहलाना छोड़ दिया

जो मैंने दिल लगाना छोड़ दिया

तो तुझे मनाना छोड़ दिया

तेरी बातें जो साथ थी मेरे हमेशा

उसे दोहराना छोड़ दिया

तोहफे तेरे दिल जला रहे थे

अब उसे बुझाना छोड़ दिया

जा तू किसी और की हो ले यहाँ

अब आंसू बहाना छोड़ दिया

जो मैंने दिल लगाना छोड़ दिया

तो तुझे मनाना छोड़ दिया।।

वैभव सागर

पलाश

किशन आज पूरे 8 साल बाद अपने घर लौट रहा था जबसे वो अमेरिका गया था और फिर वहीं का होकर रह गया था।
अपने पिता को काफी छोटी उम्र में खो देने के बाद उसकी माँ ने उसका ख्याल रखा था उसकी हर जरुरत को पूरा किया था। जब वो घर की ओर जाने वाली बस पर बैठा तो हर तस्वीर पूरी तरह बदली लग रही थी, नए घर , नई सड़क।
किशन अपने फ़ोन पर बातें करते हुए जा रहा था और उसकी बगल की सीट पर बैठे बुजुर्ग उसे घूरे जा रहे थे । वो यहाँ अपनी बची खुची संपत्ति बेचने जा रहा था, एक पुशतैनी घर और थोड़ी बंजर जमीन जिसपर इधर उधर फैले पलाश के गाछ थे । सारी उपजाऊं जमीन पहले ही उसकी मां उसके जरूरतों को पूरा करने में बेच चुकी थी।

अभी पिछले महीने ही उसकी माँ का देहांत हो गया था और राम्या ने उसे फ़ोन करके बतलाया था पर वह कुछ ज्यादा ही व्यस्त था अपने फ्यूचर प्लानिंग्स को लेकर और इतना पढ़ा लिखा भी की करियर के लिए अपनी जिम्मेदारी को समझ सके, तो आने से उसने मना कर दिया यह कहकर की अब माँ नहीं रहीं तो आके क्या करूँगा। लेकिन आज जब उसे अपने नये काम के लिए पैसों की जरुरत थी तो वह उन्हें बेचने जा रहा था।

“कहाँ जाबे के हो ” पास बैठे बुजुर्ग ने फ़ोन कटते ही पूछा।

“छोवा” उसने अनमने ढंग से गांव का नाम बताया।
“केकरा लग”
“बिरजू” उसने डांटने के लहजे से जबाब दिया और बेचारा बुजुर्ग तबतक चुप हो गया जबतक किशन बस से उतर नहीं गया ।
बस से उतारते ही वो जितना रिलैक्स महसूस कर रहा था सामने पक्की सड़क और अंजान घरों को देखकर बिकुल परेशान सा हो गया अब उसे रास्ता भी याद नहीं ।
“भैया बिरजू के घर कैसे जाऊँ?” उसने पास से गुजर रहे युवक से पूछा।
“सामने से दाएं वहां मंदिर मिलेगा वहां आप किसी से पूछ लीजियेगा” युवक ने बड़े साफ़ आदर के साथ कहा ।
“धन्यवाद्” बड़बड़ाते हुए किशन आगे बढ़ गया।

मंदिर के पास पहुँचते ही उसके दिमाग का कोहरा जैसे छंट गया ये वो मंदिर है जहाँ मैं अपनी माँ के साथ आया करता था। और ये रास्ता है बिरजू के घर जाने का। इधर ये कुआँ जहाँ से सभी पानी भर कर लाया करती थी और एक बार तो राम्या इसमें गिर भी गयी थी मेरा पीछा करते हुए।
एक अनजान मुस्कराहट उसके चेहरे पर फ़ैल गयी न जाने किस कारन से शायद राम्या की याद से या फिर रास्ता मिल जाने की ख़ुशी।

बिरजू अपने घर के बहार बैठा है दूर से दिख जाने वाली काया , हाँ बिरजू ही बैठा है।
बिरजू से कुछ ओपचारिक बातें करने के बाद बिरजू ने उसे उसके घर की चाभी दे दी, उसके माँ के जाने के बाद वही उसके घर की देखभाल कर रहा था।
ये रहा मेरा घर, उसने घर का दरवाजा खोला और दरवाजे के पास ही खड़े पलाश के गाछ पर एक दृष्टि डाली मनो कह रहा हो की धन्यवाद् मेरे घर की देखभाल करने के लीये।।
तभी पीछे से उसे किसी की आवाज सुनाई दी जो उसे पुकार रही थी पलट कर देखा तो राम्या थी।
“तुम यहाँ कैसे रहोगे काफी गन्दा है चलो मेरे घर बिरजू भैया ने बुलाया है”
“हाँ , तुम सही कह रही हो ” कहकर किशन राम्या के पीछे वापस बिरजू के घर की तरफ चल दिया ।
“और तुम्हारी शादी हो गयी” किशन ने यूँ ही पूछा
“नहीं कोई मिला है नहीं जो मुझे झेल सके” कहकर राम्या हंस दी
“तुम बिलकुल नहीं बदली”
“पर तुम बदल गए हो” राम्या ने उसे जैसे अहसास करने की चाही।

रात को खाने के बाद सब सो रहे थे पर जैसे किशन की आँखों से नींद गायब हो गयी थी राम्या की हँसी बस यहीं उसके दिमाग में चल रहा था। माँ ने कहा था कि राम्या और किशन की शादी करा देंगी पर मैं वापस नहीं आया।
हंसी राम्या की मेरी बेबसी पर मेरे सवाल पर और ऐसा सोचते सोचते वो अतीत में खोता चला गया।
राम्या ने उसे होली में रंग लगाने की कोशिश की तो वो भाग गया ये कहकर की रंग से मुझे एलर्जी है और मुझे दो दिन बाद वापस होस्टल भी जाना है और फिर राम्या ने उसे पलाश के फूलों से बना रंग लगाया था।

अगले दिन जब खरीददार आये तो उसने साफ़ मना कर दिया
खरीददार ने काफी कोशिश की उसे मानाने की पर उसने घर बेचने से मना कर दिया और अपने घर की ओर चल दिया।
दरवाजा खोलते ही उसने वही खड़े पलाश के पेंड को कसकर पकड़ लिया और हवाओं में निकलती आवाज मैं खो गया।
एक छोटा बच्चा अपनी माँ से रंग मांग रहा है
और माँ उसे नन्हे हाथों में फूल दे रही है और कह रही है कि हम इसके रंग बनाएंगे।
एक बूंद नमक की उसकी आँखों से निकल गयी और पेंड को और कसकर पकड़ लिया।
“नहीं माँ मैं नहीं जाना चाहता हूँ अमेरिका यहीं पढूंगा न तुम्हारे पास रहकर।”
“बस तीन साल की बात है बेटे यूँ निकल जाएगी और फिर राम्या है बिरजू है सभी तो हैं यहाँ।
राम्या पीछे से आ गयी उसे ये जानकार अचरज हुआ की किशन ने बेचने से मना कर दिया
“मैं वापस नहीं जा रहा ”
“पर तुम यहाँ करोगे भी क्या ”
“तुमसे शादी” राम्या का हाथ पकड़ते हुए किशन ने कहा।
“और”
“और फैक्ट्री डालूंगा”
“किसकी ?”
“रंगों की”
और वहां चार आँखें रो रही थी कुछ नमक और मोती आँखों से झर रहे थे और नीचे गिरे हुए पलाश के फूलों में समां रहे थे।।।
©वैभव सागर

इक पगली लड़की है

है राह नही ना ही मंज़िल 

बस राही मेरी दोस्त है वो 

एक झल्ली सी लड़की है 

सब पूछे तेरी कौन है वो

. . .

अफ़साने कितने अंजाने हैं 

कुछ नये हैं  कुछ पुराने हैं

कुछ बनते बनते बन जाते

कोई कहते कहते पूछे वो 

इक लड़की देखी थी पागल 

मुझको बता तेरी कौन है वो 

है जबाब नहीं इन सवालों का

बस इक लाचारी सी लगती है 

पर उस पगली की बातें फ़िर 

इन सब पर भारी लगती है 

है नासमझी की हर हद वो

जो बैठ कभी समझूँ उसको 

खुदसे पूछूँ मेरी कौन है वो

. . .


. . .

जब चाहत की बातें आती हैं 

मेरे सर की नस दुख जाती है 

नासमझ मुझे समझाती है 

मैं बातों में बहका जाता हुँ 

और पागल मुझे बेहकाती है 

है दुनियादारी की सारी समझ 

दुनियां के लिये अन्जान है वो 

तू इससे पहले फ़िर पूछे की 

मुझसे मेरी ही पहचान है वो 

तूने जो पगली लड़की देखी है

मेरी दोस्ती का प्यारा नाम है वो . . .

. . .

वैभव सागर

. . .

yes, a boy and a girl can be a good friend… 

All we need to change our mind and our thoughts, just respect as a girl and treat as a friend.

Note it down that one good friend is beeter then 1000 sham friends.