मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

अपनी ही धुन का दीवाना

दुनिया की मुझको सुध नही

गाता हूँ अपना अफसाना

मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

बेखबर राहों पे अड़ा हूँ मैं

कई नदियों पे चला हूँ मैं

खुदकी सुनना और खुदपे हँसना

बाँकी सबसे प्यार जताना

मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

इन सरसराती आवाजों में

यूँ चहचहाती फ़िज़ाओं में

घने जंगलों से होके चला मैं

खुदको मुझे है आज़माना

मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

हैं राहें ये मेरी राहगुज़र

मंज़िल की मुझको क्या खबर

अपनी धुन में जो चलता रहता

मैं मेरा साथी हूँ रोजाना

मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

ढूंढता हूँ खुदको मैं अब

शायद कहीं मैं पालूं कुछ

हस्ती मेरी मुझे मालूम नही

पर मिजाज है मेरा आशिकाना

मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

After a long time . A long break i am back to my blogs and writing. My passion..

तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है -1

मेरे द्वारा लिखी गयी एक बहुत ही लंबी कविता है जिसके कई भाग हैं एक एक कर प्रकाशित करूँगा उम्मीद है आप तक पहुंचेगी।।।।

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गर तुम्हें लगता है कि इश्क़ ही तेरी पहचान है
तो यकीनन तुम्हरी मोहब्बत अज़ान है
वो नाम सुनके तुम्हारा भले घबरा जाते हैं
पर तुम उनके नाम पे शर्मा जाते हो
वो तुम्हारे बारे में कुछ कह नही पाते
और तुम सड़को पे भी चिल्ला के आते हो
अगर बिना बात किये नही गुजरती कोई शाम है
तो यकीनन तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है

तुम्हें उनसे मिलने की ख्वाईश हो और
अगर उनकी ओर से इश्क़ आज़माइश हो
वो तुम्हारे सामने भले खुद को छिपाये
पर तुम डरते डरते सब कह जाते हो
वो तुमसे गुस्साये प्यार से चिढ़ जाएं
तुम गलतियाँ फिरसे उसे मनाने को दोहराते हो
और उसकी हंसी तुम्हारी सारी समस्या का समाधान है
तो यकीनन तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है

उसे बेशक सुकून दिल्लगी-आम में आये
तुम्हारे लिए उसकी लगी ही दिल्लगी बन जाए
वो दोस्तों के बीच तुम्हे बेशक याद न करे
पर तुम्हे भीड़ में सबसे ज्यादा उसकी याद आए
महफिलें उसके आने से तुम्हे खूबसूरत लगे
वो जले या नही पर तुम उनके प्यार में पल पल जले
और इस जलने और बुझे से रहने में तुम्हारा वर्तमान है
तो यकीनन तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है

तुम उसके सफर का बस एक किस्सा हो
औऱ तुम्हारा सफर ही उसके लिए वो एक हिस्सा हो
अगर वो बेगैरियत किसी में भी चूर हो रहे हैं
तो भी तुम उनके इश्क़ में ऐसे मशहूर हो रहे हो
रात वो भी बीती है उनकी की बेजार हैं वो तुमसे
यहाँ तुम नींदों में भी उनके खातिर मजबूर हो रहे हो
और तुम्हारा रातों को नींदों से जागना उनका एहसान है
तो यकीनन तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है

तुम बेकरार रहते हो कि वो धड़कन ओ जान है
पर उसे तेरे होने पर अपने खुद के होने का भी गुमान है
तुम हवाओं से बैर ले लेते हो उसकी जुल्फें खातिर
तो वो उफ्फ भी न कहे ऐसा कोई बदगुमां है
तुम अक्सर दिल्लगी में हद पार कर भी दो तो
वो तुमसे पूछे तेरी मोहब्बत का कोई निशां है
इस सुबूत की आवाजाही में मुस्कुराहट पे दिल परेशान है
तो यकीनन तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है

तुम बातों में उसके उससे खो से जाते हो
जब वो पूछे क्या समझे तो कुछ और सुनाते हो
वो समझ नही पाते कि माजरा क्या है है इश्क़ क्या
या फिर तुम उन्हें अपना इश्क़ महसूस नही करा पाते हो
तुम जल जाते हो उनकी नादानियों से दूर होने पर
फिर खुश भी होते हो उसकी मुस्कान मशहूर होने पर
इस उधेड़बुन में तुम्हारी दिल की चाहत बस उनका नाम है
तो यकीनन तुम्हारी मोहब्बत अज़ान है

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काफी समय दुर रहने के बाद कुछ यूं लगा जैसे अपने किसी परिवार से दूर हूँ। खुदसे दूर हूँ।

पर अब वापसी होगी ।।।

RE:-मोहब्बत नाम हो जाये

After a hard time again ,I am  inspired by reading aastha gangwar Posts and by call and texts of mayank bhai .Thank you . . और आपलोगों के लिये खास मोहब्बत नाम हो जाये. . .

तेरे इश्क में मेरा ये इल्जाम हो जाये जो देखूँ तुझको तो मोहब्बत नाम हो जाये

तुझे ढूँढू दर-ब-दर और पालूँ सपनों में ना खोना चाहूँ बस रहना साथ मेरे

तेरी आंखोँ में जो देखूँ आईना नज़र आये तुम्हारी मासूमियत का भी मोहब्बत नाम हो जाये

तेरी जुल्फें तेरी आंखेँ तू और तेरी बातें मुझे याद आती है तेरे जाने पे तेरी साँसें

तेरी आवाज से मिलकर मेरे अल्फाज गीत बन जाये

दो चार बातें फ़िर करलुं  चर्चे दिवाने आम हो जाये हमारी दीवानगी का भी मोहब्बत नाम हो जाये

तू चले , मैं धूल बनू उड़ जाऊँ हवाओं में तुझसे

तेरी एक छूवन का एहसास मेरे रोम रोम में बस जाये

तुझको रब मान माँगू तुझी से तू मिल तो ख्वाब मुकम्मल हो जाये

जो तुम हसने लगों बातों से मेरी दो पल यहीं पर रुक जाये

तुम मुझमे मिल जाओ ऐसे की मोहब्बत नाम हो जाये

कभी मेरी किताबों के भी पन्ने चार तुम देख लेना

हमारे मिलने की बातें कभी  सरेआम तुम कह देना

थोडा मैं बदनाम हुँ इश्क में थोडा तू भी बदनाम हो जाये

हमारे खूबसूरत इश्क का फ़िर मोहब्बत नाम हो जाये. . .

To be continued. . .

वैभव सागर

गुमनाम गाँव

मेरे नाम के चर्चे जमाने आम होते हैं 

तो फ़िर ये गाँव क्यू मेरा यहाँ गुमनाम रह जाये

कयी बातें कयी यादें जुड़ी है गाँव से मेरे 

तो फ़िर ये गाँव क्यू मेरा महज इक नाम रह जाये

यहाँ एक नदी गुजरती है जिसके दो बेसब्र किनारे हैं 

किनारों पे अगर बैठो यहाँ दिलकश नज़ारे हैं 

पुरी कायनात सी हरियाली यहाँ खेतों में दिखती है 

गाँव के बिचों बीच इक सड़क गुजरती है 

कभी तुम राहगीर बनकर यहाँ से गुजर कर देखो 

थम जाओ इक पल अगर जो निगाहें थम जाये

तो फ़िर ये गाँव क्यू मेरा यहाँ गुमनाम रह जाये
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Click here to listen this poem in the voice of vaibhav sagar

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कयी बातें और कहानियाँ यहाँ सबकी जुबाँ से है 

जो तुम सुनो उनको तो सब बेजुबां से है 

अगर झांको घरो में तो लोग नही बस दिल ही मिलते है 

ये कड़वा सच और है की ठंडे चुल्हे जलते हैं 

एक मंदिर का आँगन खुला तारों की छत पीछे 

कभी तुम आओ तो बैठो अशोक की छाँव के नीचे 

जहाँ हर शाम तुमको कितने ही चेहरे नज़र आये

तो फ़िर ये गाँव क्यू मेरा यहाँ गुमनाम रह जाये
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वैभव सागर

आधा इश्क (प्रारंभ)-1

Era of aadha ishq

Starts from here

Presenting you

Aadha ishq series poems…

Feel the words.

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मेरा हर कदम तेरी ओर बढा

तू एक कदम गर साथ चले

वो पल दो पल का सफ़र 

बस यादों के लिये संजोता हुँ 

माना मैं नही हुँ तुझमे पर 

मैं मेरा आधा इश्क जीता हुँ

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तेरे इंकार की भी हद होगी 

मेरा इजहार भी बेहद निकला

तेरे नज़रों से टकराकर मैं 

जो बेवक्त इक सफ़र निकला

उस सफ़र के मंज़िल को जीता हुँ 

माना मैं नही हुँ तुझमे पर 

मैं मेरा आधा इश्क जीता हुँ

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है आँसू भी इन राहों में शायद

पर तेरा मुस्कुराना गज़ब का है 

पलट के देखना वो मेरा तुझको 

तेरा बड़बडाना अजब नशा है 

आंखे तरेरना और मुझे डराना

उस डर को मैं जीता हुँ 

माना मैं नही हुँ तुझमे पर 

मैं मेरा आधा इश्क जीता हुँ.

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तेरे बिन भी मैं हुँ पुरा 

ना कुछ खाली सा है मुझमे 

ना तुझ बिन कुछ अधूरा 

ना दर्द है ना तुमसे शिकायत 

ना ही दुआ है तू न इबादत 

आंखो के सागर को मैं 

अंदर ही अंदर पीता हुँ 

माना मैं नही हुँ तुझमे 

मैं मेरा आधा इश्क जीता हुँ

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वैभव सागर 

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Feel the words.

Feel the love in the air.

वो अनकहा सा प्यार -1

​पहला दिन पहली नज़र 

मासूम हँसी और 

दिल का मेरे इकरार

वो अनकहा सा प्यार

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बातें हुइ चंद यादें हुइ 

कुछ खोया खोया लगता था

मुझमे ही तो थी मैं पर

मन सोया सोया रहता था

मुझे झ्झोडा जिसने वो था

एक शर्मीला मेरा यार 

वो अनकहा सा प्यार 

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था फर्ज हिलोरे मारता

वतन की मोहब्बत कौन जानता

आन्धियां चली मेरे मन में

वो जा रहा था दुर कहीं 

बस आँसू ही थे बिछडन में

थी बातें जुबान पर कयी

पर लब खुल ना पा रहे

बस इतना तो पूछूँ मैं 

“सच मुझे छोडकर जा रहे?”

दिलों में था जो इंकार 

वो अनकहा सा प्यार

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पलट के भी ना देखना

आँसुओं की कीमत पायी है 

है कोरा सच ये बिल्कुल

इसमे थोडी रुसवाई है 

अगर पलटी मैं या पलटा वो

तो शायद सब थम जाता

जी लेते मिलकर हम 

तो क्युँ ना पलटू इक बार

ये था अनकहा मेरा प्यार
वैभव सागर

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.Story by :- kajal singh

Poem by :- vaibhav sagar 

तू तुझमे कोई और है 

​कुछ बातें हैं तेरी बेबाक सी

कुछ बातों में तू मौन है 

कयी राज़ है इस चुप्पी में

पर खामोशियों में एक शोर है 

बस इतना ये कह जाती है 

तू तुझमें कोई और है 

कहीं धरा आकार है तेरा 

कहीं धनक का तू रंग है 

मधुर बिहग सुर में तेरे 

एक बिरह का भी अंग है 

सरगम पे एक मोर है नाचता 

वो तुझमे तेरे संग है 
नदी के बहते पानी सी 

और आसमानो की  सोच है 

कुछ इरादे भी हैं तेरे 

और उनमे ही तेरी मौज है 

ये पेड़ , हवा , बारिश जो है 

तू बँधा इनसे एक डोर है 

सब तुझमे है तुझसे पर 

तू तुझमे कोई और है

वैभव सागर

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For my dearest friend 

Debopam 

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इक पगली लड़की है

है राह नही ना ही मंज़िल 

बस राही मेरी दोस्त है वो 

एक झल्ली सी लड़की है 

सब पूछे तेरी कौन है वो

. . .

अफ़साने कितने अंजाने हैं 

कुछ नये हैं  कुछ पुराने हैं

कुछ बनते बनते बन जाते

कोई कहते कहते पूछे वो 

इक लड़की देखी थी पागल 

मुझको बता तेरी कौन है वो 

है जबाब नहीं इन सवालों का

बस इक लाचारी सी लगती है 

पर उस पगली की बातें फ़िर 

इन सब पर भारी लगती है 

है नासमझी की हर हद वो

जो बैठ कभी समझूँ उसको 

खुदसे पूछूँ मेरी कौन है वो

. . .


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जब चाहत की बातें आती हैं 

मेरे सर की नस दुख जाती है 

नासमझ मुझे समझाती है 

मैं बातों में बहका जाता हुँ 

और पागल मुझे बेहकाती है 

है दुनियादारी की सारी समझ 

दुनियां के लिये अन्जान है वो 

तू इससे पहले फ़िर पूछे की 

मुझसे मेरी ही पहचान है वो 

तूने जो पगली लड़की देखी है

मेरी दोस्ती का प्यारा नाम है वो . . .

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वैभव सागर

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yes, a boy and a girl can be a good friend… 

All we need to change our mind and our thoughts, just respect as a girl and treat as a friend.

Note it down that one good friend is beeter then 1000 sham friends.

chotti si aadat mujhe de do

​Wo choti si aadat mujhe de do

Tum apni muskurahat mujhe de do

Kehna hai tumse kitni he baaten

Saath baitho agar main Gungunaun

Bus itni ijajat mujhe de do

Tere aankhon main kho jaaun

Bus ek he nasha hai mera

Wo muskurahat hai teri

Jo tujhko hai shikayat is baat ka

Meri sikayaat mujhe de do

Tum apni muakurahat mujhe de do

.


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Kayi baar manga hai Ibadat bhe ki hai

Tere gamon se hamne bagawat bhe ki hai

Khusiyoon ki hai teri shart agar

Milegi inyat jo rubaru mere magar

Kuch keh do ya milne ki mohlat de do

Milkar kuch na bolo lab se tum

Bus muskurahat bhari nazar de do

Ek choti si aadat mujhe de do

Tum apni muskurahat mujhe de do..

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Happy new year.