मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

अपनी ही धुन का दीवाना

दुनिया की मुझको सुध नही

गाता हूँ अपना अफसाना

मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

बेखबर राहों पे अड़ा हूँ मैं

कई नदियों पे चला हूँ मैं

खुदकी सुनना और खुदपे हँसना

बाँकी सबसे प्यार जताना

मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

इन सरसराती आवाजों में

यूँ चहचहाती फ़िज़ाओं में

घने जंगलों से होके चला मैं

खुदको मुझे है आज़माना

मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

हैं राहें ये मेरी राहगुज़र

मंज़िल की मुझको क्या खबर

अपनी धुन में जो चलता रहता

मैं मेरा साथी हूँ रोजाना

मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

ढूंढता हूँ खुदको मैं अब

शायद कहीं मैं पालूं कुछ

हस्ती मेरी मुझे मालूम नही

पर मिजाज है मेरा आशिकाना

मैं पागल अल्हड़ मस्ताना

After a long time . A long break i am back to my blogs and writing. My passion..

तू यहीं है नहीं।।

तू यहाँ है नहीं
है इस पल हर जगह
धक्के खाती बस में
सुकून की हवा
हर शायर की जूझ में
तू दर्द सी दवा
और एक शांत बहती
नदी की धार सा
या फिर ढूंढता फिरे
तू तेरा पता
तू यहाँ है नहीं
है इस पल हर जगह

पुरे जेठ की धूप में
एक ठंढी दुआ
कहीं किसी के लिए
एक जीने की वजह
तो कहीं आईना है
जैसा मिले वैसा मिला
या बच्चों के खेल में
एक मुस्काती वफ़ा
तू यहाँ है
नहीं
है इस पल हर जगह।।।

Open arms and smiling face

There you stand with, open arms and smiling face

No need to breathe

 no need to blink

Your opened arms 

Feel all the thing

Never be hesitate

To give the all 

To live in one and 

Rest may upon fall

There you to hold with, open arms and smiling face

Make you green

The version of your

Live the rest in all

As you are the pure

To be in you

To live in you

Always need the thing 

That is the true

To define the truth with, open arms and smiling face